इसे कभी बीटी कहा जाता था यानी विक्टोरिया टर्मिनल।
बाद के दिनों में इसे शिवसेना के प्रस्ताव पर (सीएसटी) यानी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल के नाम से जाना जाने लगा।
आगरा के ताजमहल के बाद दूसरे नंबर पर सोशल साइट पर लोगों ने (सीएसटी) को ही देखा है।
वर्ष 1878 से शुरू होकर 1888 में इसे पूर्ण कर लिया गया।
इसके पत्थरों पर वास्तुकला और नक्काशी देखते ही बनता है।
हिम्मत है तो किसी प्रदेश की सरकार और भारत सरकार की जो इस प्रकार का ठोस और वास्तुकला से पोषित निर्माण करके दिखाएं तो माना जाएगा कि हां सच में हमारी सरकारें विकास कर रही हैं।
रेलवे मंत्रालय और भारत सरकार ने बहुत किया होगा तो इसकी साफ साफ और रंग रोगन ही किया होगा।
वर्ष 2004 में यूनेस्को ने इसे राष्ट्रीय स्मारक के रूप में घोषित किया।
बाद के दिनों में इसे शिवसेना के प्रस्ताव पर (सीएसटी) यानी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल के नाम से जाना जाने लगा।
आगरा के ताजमहल के बाद दूसरे नंबर पर सोशल साइट पर लोगों ने (सीएसटी) को ही देखा है।
वर्ष 1878 से शुरू होकर 1888 में इसे पूर्ण कर लिया गया।
इसके पत्थरों पर वास्तुकला और नक्काशी देखते ही बनता है।
हिम्मत है तो किसी प्रदेश की सरकार और भारत सरकार की जो इस प्रकार का ठोस और वास्तुकला से पोषित निर्माण करके दिखाएं तो माना जाएगा कि हां सच में हमारी सरकारें विकास कर रही हैं।
रेलवे मंत्रालय और भारत सरकार ने बहुत किया होगा तो इसकी साफ साफ और रंग रोगन ही किया होगा।
वर्ष 2004 में यूनेस्को ने इसे राष्ट्रीय स्मारक के रूप में घोषित किया।
अंग्रेजी जैसा निर्माण करके दिखाओ। CST, Mumbai braj bhushan iitk | |
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Non-profits & Activism | Upload TimePublished on 13 Apr 2019 |
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